newsanurag.com | नई दिल्ली: अब युद्ध सिर्फ बंदूकों और गोलियों तक सीमित नहीं रह गया है। तकनीक ने जंग के तौर-तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है और इसमें सबसे बड़ा योगदान दे रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)। भारतीय सेना भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है और 2026-27 तक एक अत्याधुनिक AI आधारित युद्ध प्रणाली विकसित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
🎯 AI से युद्ध की नई परिभाषा
पहले जहां ड्रोन की कल्पना भी मुश्किल थी, आज सेना सैकड़ों ड्रोन को एक साथ मिशन पर भेज रही है। अब जंग सिर्फ इंसानों की ताकत से नहीं, बल्कि AI, मशीन लर्निंग (ML) और बिग डेटा एनालिटिक्स से भी लड़ी जा रही है।
भारतीय सेना ने रूस-यूक्रेन, अर्मेनिया-अजरबैजान और इजरायल की लड़ाइयों से काफी कुछ सीखा है। इन्हीं अनुभवों के आधार पर सेना ने एक ऐसा रोडमैप तैयार किया है जिसमें रीयल टाइम बैटलफील्ड मॉनिटरिंग, कॉर्डिनेटेड ड्रोन मिशन, और इंफॉर्मेशन वॉरफेयर जैसे आधुनिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
🔍 AI से मिलेगी रीयल टाइम जानकारी
सेना का उद्देश्य है कि युद्ध के मैदान में AI टूल्स की मदद से बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी से प्रोसेस किया जाए। इसके लिए ड्रोन, सैटेलाइट, एयरक्राफ्ट और जमीनी सेंसरों से मिलने वाली जानकारी को रीयल टाइम में एनालाइज कर तुरंत निर्णय लिया जा सकेगा। इसके लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित करने की योजना भी बनाई जा रही है।
🔬 फ्यूचर एनालिसिस ग्रुप करेगा टेक्नोलॉजी का अध्ययन
इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) के तहत एक नया फ्यूचर एनालिसिस ग्रुप बनाने की तैयारी चल रही है। यह ग्रुप आने वाली तकनीकों और उनके संभावित प्रभावों पर स्टडी करेगा। सेना प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने बताया कि भविष्य की जंग में तीन प्रमुख तकनीकों का प्रभाव रहेगा:
- 🤖 रोबोटिक्स और ऑटोमेशन
- 🚀 हाई-स्पीड वेपन सिस्टम (जैसे हाइपरसोनिक ड्रोन)
- 🧠 इंटेलिजेंस वॉरफेयर (AI, ML और डेटा एनालिटिक्स)
जनरल चौहान ने यह भी कहा कि इंटेलिजेंस वॉरफेयर का प्रभाव बाकी दोनों तकनीकी क्षेत्रों पर भी पड़ेगा, इसलिए इस पर विशेष अध्ययन किया जा रहा है।
🟢 SEO Keywords: भारतीय सेना में AI, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और युद्ध, AI युद्ध तकनीक भारत, बैटलफील्ड टेक्नोलॉजी 2026, आर्मी AI प्लान